बन्द नयनों से तुझमें झांकता हूं मेरे मीत, बन्द अधरों से तुझे पुकारता हूं मेरे मीत। समर्पित अनुराग से सुध-बुध खो बैठे हम-तुम, मिलन बेला में गाता हूं स्नेह के तेरे गीत। ...... सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'