ये मनुष्य की फितरत है शिशिर में आवश्यकता के समय उसे प्रज्वलित अग्नि में भी सुकून लगता है, यूं तो ग्रीष्म में यही अग्नि उसे रास नहीं आती। ©||स्वयं लेखन|| ये मनुष्य की फितरत है शिशिर में आवश्यकता के समय उसे प्रज्वलित अग्नि में भी सुकून लगता है, यूं तो ग्रीष्म में यही अग्नि उसे रास नहीं आती। #Life #Life_experience #thought #Poetry