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कहाँ से करुँ मैं शुरू अपनी यह कहानी यादें हैं कुछ

कहाँ से करुँ मैं शुरू अपनी यह कहानी 
यादें हैं कुछ ताज़ा अपने ही बचपन की 
गुङिया से बातें करना
मन में हँसना और मुसकराते रहना
 स्कूल जाने की उम्र हुई 
तो दुनिया फिर बदल गई 
पढाई से जादा खेल खेला 
खूब दोस्त बनाई मैं 
साइकिल सीखने की कोशिश में 
न जाने कितनी चोट लगी 
दोपहर की तपती धूप में 
खूब दौड़ लगाई मैं 
माँ को बहुत परेशान किया 
खुद की नादानी से 
घूमते फिरने  के जूनून में 
मौका पाते निकल पड़े 
जवानी में दिवानी हुई
खुद से नयी पहचान मिली 
शर्माना इतराना आ गया 
सजना सवरना का शौक बढ़ा 
थोड़ी उम्र बढ़ी मेरी 
जिंदगी का बोझ लिया 
कुछ बनने की चाहत जगी 
महनत करने की ढानी मैं 
कोशिश की है मन से मैंने 
जिंदगी आसान नहीं लेकिन 
हार नहीं है मैंने मानी
मेरी भी इक पहचान है। 
 मेरी पहचान 
1st Challenge of #poetictoc #atconfessionalpoem #astheticthoughts #poetictoc #worldpoetryday #confessionalpoem   
( I had posted it on 19th itself , reposting it for you aesthetic thoughts)
कहाँ से करुँ मैं शुरू अपनी यह कहानी 
यादें हैं कुछ ताज़ा अपने ही बचपन की 
गुङिया से बातें करना
मन में हँसना और मुसकराते रहना
 स्कूल जाने की उम्र हुई 
तो दुनिया फिर बदल गई 
पढाई से जादा खेल खेला 
खूब दोस्त बनाई मैं 
साइकिल सीखने की कोशिश में 
न जाने कितनी चोट लगी 
दोपहर की तपती धूप में 
खूब दौड़ लगाई मैं 
माँ को बहुत परेशान किया 
खुद की नादानी से 
घूमते फिरने  के जूनून में 
मौका पाते निकल पड़े 
जवानी में दिवानी हुई
खुद से नयी पहचान मिली 
शर्माना इतराना आ गया 
सजना सवरना का शौक बढ़ा 
थोड़ी उम्र बढ़ी मेरी 
जिंदगी का बोझ लिया 
कुछ बनने की चाहत जगी 
महनत करने की ढानी मैं 
कोशिश की है मन से मैंने 
जिंदगी आसान नहीं लेकिन 
हार नहीं है मैंने मानी
मेरी भी इक पहचान है। 
 मेरी पहचान 
1st Challenge of #poetictoc #atconfessionalpoem #astheticthoughts #poetictoc #worldpoetryday #confessionalpoem   
( I had posted it on 19th itself , reposting it for you aesthetic thoughts)