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पल्लव की डायरी डूबा रग रग मेरा,रोग इश्क का लगता है

पल्लव की डायरी
डूबा रग रग मेरा,रोग इश्क का लगता है
हो कोई उपवन,या पर्वत
प्यार में रंगा हुआ लगता है
हवाओ के झोंके छूकर अहसास मुझे कराते है
अनजानी खुशबू दिल के आंगन में छोड़ जाते है
मालामाल हुआ में तो,कई नदियाँ मुझ में ईश्क की डूबी है
बन गया एक समुंदर में भी प्यार का
जब से इश्क में रूह डूबी है
पागलपन इतना बढ़ गया मेरा
अब नाम मेरा,इश्क की पहचान बन गया
                                                    प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  जब से रूह इश्क में डूबी है
#nojotohindi

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