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#अंतिम इच्छा कहां पुछता है कोई एक स्त्री से उसकी अ

#अंतिम इच्छा
कहां पुछता है कोई एक स्त्री से
उसकी अंतिम इच्छा
अंतिम क्या उसकी तो पहली
इच्छा भी दफ्न‌ कर दी जाती है
सबके हां में हां मिलाते मिलाते
कब सबकी इच्छा उसकी बन जाती
वो समझ भी नहीं पाती
और उसकी सारी इच्छाएं
एक दिन पीपल की बीज हो जाती है
जो कभी कभी पत्थर पर भी उग आती है
और फिर हर जगह से उसे उखाड़ा जाता है
कांटा छांटा जाता है 
कहीं उसकी जड़ें फैल गई तो 
हर जगह निकल आएगी 
अंत में युद्ध होता है उसी तरह, और
जैसे पत्थर को फ़ाड़ निकल आते हैं पीपल
वैसे हीं कुछ स्त्रियां विरोध में निकल आती है 
चारदीवारी से बाहर अपनी स्वतंत्रता के लिए

©Savita Suman
  #अंतिम_इच्छा