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खामोशी को मेरी कोई तो समझेगा। उदासी को मेरी कोई तो

खामोशी को मेरी कोई तो समझेगा।
उदासी को मेरी कोई तो समझेगा।
जानते है सब दूर से ही मुझे,
बुला ले रब आखिर नजदीक से मुझे कोई तो समझेगा।।
निसार मलिक
खामोशी को मेरी कोई तो समझेगा।
उदासी को मेरी कोई तो समझेगा।
जानते है सब दूर से ही मुझे,
बुला ले रब आखिर नजदीक से मुझे कोई तो समझेगा।।
निसार मलिक