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काफी समय से वे दोनों एक साथ प्यार से सरावोर थे।बहु

काफी समय से वे दोनों एक साथ प्यार से सरावोर थे।बहुत बातें होती थीं जो रुहानी सुकून के साथ रोमाचं भी भरती थीं।दोनों के बीच एक पवित्र रिश्ते की मजबूत दिवार थी।
वे दोनों अपने इस रिश्ते को समाज के हर तबके से बचा के रखते आये थे।कभी भी शारीरिक चाहत हावी नहीं हुई।कई बार ऐसा भी हुआ कि दोनों को साथ साथ किसी project पर काम करना पडा़ और इस काम के लिए बाहर भी रहना पडा़।मर्यादित थे तो उनके मन में डर,संकोच और झिझक नहीं थी।कई बार एक दूसरे के घर जाने का अवसर मिला परन्तु दोनों ने ही पहल नहीं की।
कुछ दिनों बाद रश्मि का जन्मदिन था तो अनुज को समझ नहीं आया कि क्या उपहार दिया जाये।क्योंकि रश्मि को उनके रिश्ते में लेने देने की परम्परा पसन्द नहीं थी।
अंततः अनुज को कुछ नहीं सूझा तो एक cadbury की चॉकलेट ले ही ली ।जन्मदिन वाले दिन पहली बार अनुज रश्मि के घर के घर को गया और पहली बार उसके मम्मी पापा से मिला।सभी खुश थे।आप पडो़स के लोग कुछ देर रुककर औपचारिकता दिखा कर चले गये।
रश्मि अनुज के लिए कुछ बनाने के लिए उठी तो उसकी माँ ने कहा कि तू अनुज के साथ बैठ मैं बनाती हूँ और पीछे पीछे मदद को उसके पापा भी चले गये।अनुज ने जेब से लायी गयी चॉकलेट रश्मि की ओर बढा़यी ,रश्मि ने आँखे ततेरते हुए देखा फिर मुस्कुराते हुए ले ली।
रश्मि बैड पर एक किनारे से लग के बैठी थी तभी अनुज उठकर रश्मि के पास गया और रश्मि के चेहरे को उँगली से उठाकर गाल पर चूम लेता है।दोनों का ही दिल धक हो कर रह जाता है।
अगर कोई देख लेता तो पागल हो कतई..आप
तभी अनुज ने बाहर को झाँका फिर एक बार उठकर रश्मि की ओर जाने लगा मगर रश्मि ने तुरन्त हाथों को हिलाकर मना किया।पूछा..कि अब क्या है ?अनुज ने अपनी उँगली को होठों पर रखते हुए इशारा किया।रश्मि धत् कहकर रसोई की ओर चली गयी।
वो बात जो अधूरी..मगर मर्यादित बाकी है।
राम उनिज मौर्य #उपहार
काफी समय से वे दोनों एक साथ प्यार से सरावोर थे।बहुत बातें होती थीं जो रुहानी सुकून के साथ रोमाचं भी भरती थीं।दोनों के बीच एक पवित्र रिश्ते की मजबूत दिवार थी।
वे दोनों अपने इस रिश्ते को समाज के हर तबके से बचा के रखते आये थे।कभी भी शारीरिक चाहत हावी नहीं हुई।कई बार ऐसा भी हुआ कि दोनों को साथ साथ किसी project पर काम करना पडा़ और इस काम के लिए बाहर भी रहना पडा़।मर्यादित थे तो उनके मन में डर,संकोच और झिझक नहीं थी।कई बार एक दूसरे के घर जाने का अवसर मिला परन्तु दोनों ने ही पहल नहीं की।
कुछ दिनों बाद रश्मि का जन्मदिन था तो अनुज को समझ नहीं आया कि क्या उपहार दिया जाये।क्योंकि रश्मि को उनके रिश्ते में लेने देने की परम्परा पसन्द नहीं थी।
अंततः अनुज को कुछ नहीं सूझा तो एक cadbury की चॉकलेट ले ही ली ।जन्मदिन वाले दिन पहली बार अनुज रश्मि के घर के घर को गया और पहली बार उसके मम्मी पापा से मिला।सभी खुश थे।आप पडो़स के लोग कुछ देर रुककर औपचारिकता दिखा कर चले गये।
रश्मि अनुज के लिए कुछ बनाने के लिए उठी तो उसकी माँ ने कहा कि तू अनुज के साथ बैठ मैं बनाती हूँ और पीछे पीछे मदद को उसके पापा भी चले गये।अनुज ने जेब से लायी गयी चॉकलेट रश्मि की ओर बढा़यी ,रश्मि ने आँखे ततेरते हुए देखा फिर मुस्कुराते हुए ले ली।
रश्मि बैड पर एक किनारे से लग के बैठी थी तभी अनुज उठकर रश्मि के पास गया और रश्मि के चेहरे को उँगली से उठाकर गाल पर चूम लेता है।दोनों का ही दिल धक हो कर रह जाता है।
अगर कोई देख लेता तो पागल हो कतई..आप
तभी अनुज ने बाहर को झाँका फिर एक बार उठकर रश्मि की ओर जाने लगा मगर रश्मि ने तुरन्त हाथों को हिलाकर मना किया।पूछा..कि अब क्या है ?अनुज ने अपनी उँगली को होठों पर रखते हुए इशारा किया।रश्मि धत् कहकर रसोई की ओर चली गयी।
वो बात जो अधूरी..मगर मर्यादित बाकी है।
राम उनिज मौर्य #उपहार