कितने आँसू हैं जो लड़के पी गए कितनी बातें हैं जो लड़कियाँ बोली नहीं "आँसू लड़कियों की भाषा है और बोली लड़कों की" ये कहकर कितने पुरुषों के आँसू स्त्रियों की आँखों से बहाए गए कितनी बातें स्त्रियों की पुरुषों के ज़ुबाँ से सुनी गई बाँधा गया है सदियों से दोनों को भाषायों में अगर बोली स्त्री की भाषा नहीं थी तो उसकी ज़ुबाँ का होना कुदरत का मज़ाक रहा होगा अगर आँसू की भाषा केवल स्त्री जानती है तो पुरुषों का आँखों के साथ जन्म लेना एक संयोग मात्र . हमको पढ़ाया गया केवल शरीर का विज्ञान भाषा विज्ञान जला दिया गया फिर बचे अवशेषों ने पोंछ दिये आँसू और काट दी ज़ुबाँ! कितने आँसू हैं जो लड़के पी गए कितनी बातें हैं जो लड़कियाँ बोली नहीं "आँसू लड़कियों की भाषा है और बोली लड़कों की" ये कहकर कितने पुरुषों के आँसू स्त्रियों की आँखों से बहाए गए कितनी बातें स्त्रियों की पुरुषों के ज़ुबाँ से सुनी गई बाँधा गया है सदियों से दोनों को भाषायों में अगर बोली स्त्री की भाषा नहीं थी