बुला कर ,बेइज्जत करना खता क्या इसमें है हॉस्टल वाले नया क्या इसमें।। कभी होश ,तो कभी मदहोश हो जाते है जन्मदिन आता है न तो बेहोश हो जाते हैं। जमीर का जगना क्या शाम होते ही ढल जाता है साथ मिलता जब ऐय्याशों का तब अपना अपनों को भूल जाता हैं।। कहानी नही,जो सुन कर भूल जाना तुम हकीकत है,जिंदगी भर बोझ उठाना तुम।। गलत तू नही,हम भी है बिना सोचे तेरी बात समझ बैठे थे अरे वो दोस्त ही तो था उसे अपनी-जान समझ बैठे थे।। मैं और मेरे अपने... मैं@मेरे#अपने%हॉस्टल वाले।।