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'क्षिति-जल-पावक-गगन-समीरा' - यही हमारे शरीर की संर

'क्षिति-जल-पावक-गगन-समीरा' - यही हमारे शरीर की संरचना भी है और पर्यावरण की भी। इसलिए पर्यावरण जीवन है। विश्व पर्यावरण दिवस इस बात की याद दिलवाने के लिए है कि प्रकृति के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों को दैनिक चर्या का हिस्सा बनायें।

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:। 
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्वं शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥ 
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥ 🙏 Kamlesh kumar gupta
'क्षिति-जल-पावक-गगन-समीरा' - यही हमारे शरीर की संरचना भी है और पर्यावरण की भी। इसलिए पर्यावरण जीवन है। विश्व पर्यावरण दिवस इस बात की याद दिलवाने के लिए है कि प्रकृति के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों को दैनिक चर्या का हिस्सा बनायें।

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:। 
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्वं शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥ 
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥ 🙏 Kamlesh kumar gupta