#समझने_वाले_अल्फ़ाज़! —··जवानी हुस्न मेखाने लबो रुखसार बिकते हैं हया के आईने भी अब सरे बाज़ार बिकते हैं, —··शराफत ज़र्फ हमदर्दी दिलों से हो गई रुखसत जहाँ दौलत चमकती है वहीं किरदार बिकते हैं, —··हमारे रेहनुमओ को हुवा क्या है खुदा जाने कभी इस पार बिकते हैं कभी उस पार बिकते हैं, —··ज़रा खुद सोचिए हम पर तबाही क्यों न आएगी ये दौर ऐसा है जिसमे क़ौम के सरदार बिकते हैं!😞 —अल ग़ज़ाली #Gül@@m é Àlì F@kéér Mú@vìy@ z@f@r g@z@lì