|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8
।।श्री हरिः।।
15 - कलियुग के अन्त में
आपने यदि वैज्ञानिक कही जाने वाली कहानियों में से कोई पढी हैं तो देखा होगा कि किस प्रकार दो-चार शती आगे की परिस्थिति का उनमें अनुमान किया जाता है और वह अनुमान अधिकांश निराधार ही होता है। यह कहानी भी उसी प्रकार की एक काल्पनिक अनुमान मात्र प्रस्तुत करती है; किंतु यह सर्वथा निराधार नहीं है। पुराणों में कलियुग के अन्त समय का जो वर्णन है, वह सत्य है; क्योंकि पुराण सर्वज्ञ भगवान् व्यास की कृति है। उनमें भ्रम, प्रमाद सम्भव नहीं है। अत: उन पुराणों के वर्णनों को मूख्याधार बनाकर कल्पना ने कहानी को यह आकार दिया है। अवश्य ही आज के सामान्य स्वीकृत एवं सम्भाव्य वैज्ञानिक तथ्यों को दृष्टि में रखा गया है।
यह कलिसंवत् 5064 है, विक्रम संवत् 2020 में। कलियुग की कुल आयु (पूरा भोगकाल) 4,32,000 वर्ष है। इसलिये यह कहानी लगभग 4,26,900 वर्ष आगे को सम्बन्ध में है और उस समय की स्थिति का एक दृश्य उपस्थित करती है।