चुप हूँ, चुपचाप खुश हूँ, खबर नहीं मुझे, कब से, क्यों चुप हूँ , ये आदत नहीं, पसंद है, शायद इसलिए बेफिक्र हूँ आज कौन कितना चुप है। नही मुमकिन , मेरी चुप्पी को इतनी आसानी से ठुकराना मेरी गुमनामी को यूँही छोड जाना। बस चुप रहना, खुश रहना। चला जाऊँ गर चुपचाप यहाँ से, सैकडों अंगुलियाँ उठेगी मेरी चुप्पी पे, फिर भी न पक्षपात करूँगा, चुपचाप गुमनामी की आवाज सुनूँगा। मेरी चुप्पी को मेरी कमजोर कडी समझने की भूल होगी, गुनगुनाते गीत की जुबाँ भी शौकीन होगी। जीवन की हलचल में, अपनी गुमनामी पसंद है। उड़ती धूल में, खिलते फूल की बदनामी पसंद है। जमाने का कहना है, मैं चहरदिवारी तक सिमटा कायर हूँ, हाँ, कायर ही तो हूँ अभी तक चुपचाप जो हूँ। भरी महफिल में, मैं खुद का शायर हूँ, चीख को बेजुबाँ करने में माहिर हूँ। सफर में खुद को अकेला, पाकर खुश हूँ, भीड का हिस्सा बनने वाली बात पे चुप हूँ। जब शायद कोई न चुपचाप होगा, मेरी गुमनामी का नजरअंदाज होगा। चाहूँगा चुपचाप चीखना और बताना, मैं चुप हूँ, क्योंकि मैं इसका कायल हूँ। #lastcorridor#silencewisher #dear Zindagi. #life experience.