दिल को जबसे ग़म की आदत हो गई । आँख को शबनम की आदत हो गई ।। अब हमारा जख़्म भी भरता नहीं .. जख़्म बिन मरहम की आदत हो गई । मिल रही जो भी सज़ा मंज़ूर है .. अब हमें मातम की आदत हो गई । ख़ौफ से सहमा हुआ है आदमी .. हाय किस आलम की आदत हो गई । फिर भी उम्मीदों से रौशन है "दिया".. अब तो हर मौसम की आदत हो गई । -Dipti #दिल को जबसे #ग़म की #आदत हो गई मीटर: 2122 2122 212 #nojoto #nojotohindi #nojotonewes