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असीमित की व्याख्या सीमित करता है अनन्त की व्याख्या

असीमित की व्याख्या सीमित करता है
अनन्त की व्याख्या नंत करता हैं
अपरिमित की व्याख्या परिमित करता हैं
ब्रह्म की व्याख्या जीव करता हैं

इसीलिए आजतक इन तत्वों की उचित व्याख्या
 हो ही नही पाई है
और ना ही कभी हो सकती हैं
इन तत्वों पर आई आजतक की सब व्याख्या झूठी हैं,
 भटकाने वाली हैं,
चाहे जिसके द्वारा हो ।

जो मात्र ध्यान के द्वारा,
सम्बोधि के द्वारा ,मौन के द्वारा 
महसूस किया जा सकता हैं,
उसके लिए परिमित ने
दुनिया भर का झूठा व्याख्यान दे डाला
और तमाम तरह के झूठे तरीके गढ़ डाले ।। अन्तन
असीमित की व्याख्या सीमित करता है
अनन्त की व्याख्या नंत करता हैं
अपरिमित की व्याख्या परिमित करता हैं
ब्रह्म की व्याख्या जीव करता हैं

इसीलिए आजतक इन तत्वों की उचित व्याख्या
 हो ही नही पाई है
और ना ही कभी हो सकती हैं
इन तत्वों पर आई आजतक की सब व्याख्या झूठी हैं,
 भटकाने वाली हैं,
चाहे जिसके द्वारा हो ।

जो मात्र ध्यान के द्वारा,
सम्बोधि के द्वारा ,मौन के द्वारा 
महसूस किया जा सकता हैं,
उसके लिए परिमित ने
दुनिया भर का झूठा व्याख्यान दे डाला
और तमाम तरह के झूठे तरीके गढ़ डाले ।। अन्तन