पागल मेरी मौत भी तेरे मंझर से जुड़ी है फर्क इतना है कि मुकद्दर समझ लेते हैं तुमरे इन जुल्मों का क्या करें मोहतरमा मेरे गम भी तो समुद्र से भी गहरे होते हैं ©DANVEER SINGH DUNIYA बनके