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धन तथा धर्म बन रहे हैं... प्रेम की परिणति मन मस्ति

धन तथा धर्म
बन रहे हैं...
प्रेम की परिणति
मन मस्तिष्क में
इन्हें न विचारकर
शून्य के प्रति प्रेम
शून्य के प्रति चाहत
शून्य की पराकाष्ठा
को ध्यान में रखकर 
किया प्रेम में आलिंगन
ही विशुद्ध प्रेम का पर्याय हैं... #yqbaba #yqhindi  #yqlove #yqquotes #yqlife  #love  #गहनअध्ययन  #गहन
धन तथा धर्म
बन रहे हैं...
प्रेम की परिणति
मन मस्तिष्क में
इन्हें न विचारकर
शून्य के प्रति प्रेम
शून्य के प्रति चाहत
शून्य की पराकाष्ठा
को ध्यान में रखकर 
किया प्रेम में आलिंगन
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