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शायरी शायरी कुछ-कुछ शक़्ल से भूत और अक्ल में छः सूत

शायरी
शायरी कुछ-कुछ शक़्ल से भूत और अक्ल में छः सूत होती है।
व्यंग्य हो या हास्य प्रतिद्वंदी सर पे अल्फाज़ो की सौ जूत देती है।।

संगीत
सुनकर चौंके मन मतंग मृदङ्ग नाचे।।
जहन में उतरे अंग-अंग में रँग बरसे।।
पीट पीट कर तलियाँ जज जजिस नाचे।।

©Naresh Sogarwal शायरी- संगीत।।
शायरी
शायरी कुछ-कुछ शक़्ल से भूत और अक्ल में छः सूत होती है।
व्यंग्य हो या हास्य प्रतिद्वंदी सर पे अल्फाज़ो की सौ जूत देती है।।

संगीत
सुनकर चौंके मन मतंग मृदङ्ग नाचे।।
जहन में उतरे अंग-अंग में रँग बरसे।।
पीट पीट कर तलियाँ जज जजिस नाचे।।

©Naresh Sogarwal शायरी- संगीत।।