फिर मुसाफिर बन चला है कोई फिर रास्ता भटक गया है कोई घर की वो चिडिया याद आती है फिर घोसला उजड़ गया है कोई देहलीज़ अब रास्ता तकती है फिर आँगन सुना पड गया है कोई बहोत ख़ामोशी है शहर में आज फिर इंसान अकेला मर गया है कोई दिल गुमनाम है उसे रहने दो फिर खुद का पता भूल गया है कोई शैतानों की बस्ती में रोशिनी बहोत है फिर से भगवान् मर गया है कोई फिर मुसाफिर बन चला है कोई फिर रास्ता भटक गया है कोई घर की वो चिडिया याद आती है फिर घोसला उजड़ गया है कोई देहलीज़ अब रास्ता तकती है फिर आँगन सुना पड गया है कोई बहोत ख़ामोशी है शहर में आज फिर इंसान अकेला मर गया है कोई