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ऋषि दुर्वासा ने कुंती की सेवा से प्रसन्न होकर उनको

ऋषि दुर्वासा ने कुंती की सेवा से प्रसन्न होकर उनको वरदान दिया। 
वरदान की परीक्षा लेने के लिए सूर्य देव का कुंती ने आह्वान किया।

सूर्यदेव ने वर के परिणाम स्वरूप पुत्र कर्ण को गोद में डाल दिया।
गोद में पुत्र को देखकर कुंती को अपनी अज्ञानता का ज्ञान हुआ।
 
बिन ब्याही मां बनने का कलंक न सह पाएगी इसका भान हुआ। 
विवशता वश कवच कुंडल वाले सूर्यपुत्र को गंगा जी में बहा दिया।

सूर्यपुत्र को अपनाकर राधा व अधिरथ ने बचाकर पालन पोषण किया। 
सूत पुत्र हो जाने के कारण द्रोणाचार्य ने उसे अपना शिष्य नहीं बनाया।
 
दुर्योधन ने मित्र बनाया अंगदेश का राज्य देकर अंगराज कर्ण बनाया। 
महाभारत के युद्ध में कौरवों का साथ देकर अपना मित्र धर्म निभाया।
 
युद्ध में कर्ण को कौरवों के साथ जानकर कुंती ने उसको सत्य बताया। 
पांच पुत्र रहेंगे जीवित कर्ण ने अपनी मां कुंती को आश्वासन दिलाया।
 
इंद्र ने धोखे से दान में कवच कुंडल मांगकर युद्ध में अर्जुन को जिताया। 
अर्जुन के हाथों युद्ध में मरणासन्न हुआ तब कुंती ने सबको सत्य बताया।
 
सत्य जानकर सभी पांडव बहुत रोए और स्वयं को अपराधी बताया। 
तब कृष्ण ने अधर्म पर धर्म की विजय के लिए उचित है सबको समझाया।

कृष्ण ने पांडवों का साथ दिया युद्ध को अधर्म पर धर्म की जीत बताया।
शूरवीर कर्ण महादानी और मित्रता निभाने के लिए महान कहलाया।
-"Ek Soch" #kuntikarna #good #writer #yqbaba #yqquotes #myquote #topic 


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वरदान की परीक्षा लेने के लिए सूर्य देव का कुंती ने आह्वान किया।

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गोद में पुत्र को देखकर कुंती को अपनी अज्ञानता का ज्ञान हुआ।
 
बिन ब्याही मां बनने का कलंक न सह पाएगी इसका भान हुआ। 
विवशता वश कवच कुंडल वाले सूर्यपुत्र को गंगा जी में बहा दिया।

सूर्यपुत्र को अपनाकर राधा व अधिरथ ने बचाकर पालन पोषण किया। 
सूत पुत्र हो जाने के कारण द्रोणाचार्य ने उसे अपना शिष्य नहीं बनाया।
 
दुर्योधन ने मित्र बनाया अंगदेश का राज्य देकर अंगराज कर्ण बनाया। 
महाभारत के युद्ध में कौरवों का साथ देकर अपना मित्र धर्म निभाया।
 
युद्ध में कर्ण को कौरवों के साथ जानकर कुंती ने उसको सत्य बताया। 
पांच पुत्र रहेंगे जीवित कर्ण ने अपनी मां कुंती को आश्वासन दिलाया।
 
इंद्र ने धोखे से दान में कवच कुंडल मांगकर युद्ध में अर्जुन को जिताया। 
अर्जुन के हाथों युद्ध में मरणासन्न हुआ तब कुंती ने सबको सत्य बताया।
 
सत्य जानकर सभी पांडव बहुत रोए और स्वयं को अपराधी बताया। 
तब कृष्ण ने अधर्म पर धर्म की विजय के लिए उचित है सबको समझाया।

कृष्ण ने पांडवों का साथ दिया युद्ध को अधर्म पर धर्म की जीत बताया।
शूरवीर कर्ण महादानी और मित्रता निभाने के लिए महान कहलाया।
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