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अपने अस्तित्व को विलय कर दिया बूंद ने जब सागर में,

अपने अस्तित्व को विलय कर दिया बूंद ने जब
सागर में,
बूंद रही न बूंद,फिर वो भी सागर कहलाई।
यही नाता तो है सजनी साजन का,
तन की नहीं,मन की मन से हो जाती है सगाई।।

स्नेह प्रेमचंद

©Sneh Prem Chand मन की मन से सगाई
अपने अस्तित्व को विलय कर दिया बूंद ने जब
सागर में,
बूंद रही न बूंद,फिर वो भी सागर कहलाई।
यही नाता तो है सजनी साजन का,
तन की नहीं,मन की मन से हो जाती है सगाई।।

स्नेह प्रेमचंद

©Sneh Prem Chand मन की मन से सगाई

मन की मन से सगाई