रसोई घर में जाकर गुनगुना लेती हूं, मंद-मंद यूं ही ख्बाब सजा लेती हूं, करछी, चमचों, प्यार के मसालों से मैं, दुश्मनों को भी , दोस्त बना लेती हूं हूं तो नहीं किसी भी चीज में मैं सम्पूर्ण, कमियां को मैं अपनी, सुधार लेती हूं। #रसोईघर