एक ख़्वाब तुम बनाते थे, एक ख़्वाब हम सजाते थे, यूं घण्टों एक दूसरे से बातें कर जाते थे, हम अक्सर मिलने आते थे, यूं दिन तुम तय करते, तो वक्त हम बतलाते थे, जगह के नाम पर दोनों चुप हो जाते थे, हम अक्सर मिलने आते थे, यूं भाग दौड़ की ज़िंदगी में, हम अपने-अपने काम जल्दी निपटाते थे, वक्त के तक़ाज़े में दोपहर में भी, हम अक्सर मिलने आते थे, यूं पार्क में सब कहीं ना कहीं गुम हो जाते थे, एक हम और तुम ही थे जो बात बहुत बनाते थे, हाथ तेरा पकड़ के गोद में तेरी हम सो जाते थे, याद है ना हम अक्सर मिलने आते थे। हम अक्सर मिलने आते थे... एक ख़्वाब तुम बनाते थे, एक ख़्वाब हम सजाते थे, यूं घण्टों एक दूसरे से बातें कर जाते थे, हम अक्सर मिलने आते थे, यूं दिन तुम तय करते,