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जिसे देखता हूँ रोज झरोखों से मैं, उसने मुहब्बत से

जिसे देखता हूँ रोज झरोखों से मैं, 
उसने मुहब्बत से मुहब्बत ना होने कि अफवाह खुद के लिए फैलाई है। 
शायद मुझपे नजर पड़ी होगी उसकी कल, 
तभी मरजानी आज फिर उसी समय छत पर कपड़ा फैलाने आई है।। #phlinazarkapyar ...first time likha aisa kuch.. 😅😅
जिसे देखता हूँ रोज झरोखों से मैं, 
उसने मुहब्बत से मुहब्बत ना होने कि अफवाह खुद के लिए फैलाई है। 
शायद मुझपे नजर पड़ी होगी उसकी कल, 
तभी मरजानी आज फिर उसी समय छत पर कपड़ा फैलाने आई है।। #phlinazarkapyar ...first time likha aisa kuch.. 😅😅