एक बार प्यार ढूंढा था, तब से सुकून ढूंढ रहा हूँ बंज़र हैं ज़मी नमी ढूंढ रहा हूँ तू छोड़ कर तो चली गयी पर कुछ भी समझ ना आया मेरे कहाँ रह गयी कमी वो कमी ढूंढ रहा हूँ तुझसे बिछड़ कर ये हाल है मेरा खुद को ही हर कहीं ढूंढ रहा हूँ एक अरसे से छाई हैं चेहरे पर उदासी मेरे अब हर लम्हें में ख़ुशी ढूंढ़ रहा हूँ एक बार प्यार ढूंढा था, तब से सुकून ढूंढ रहा हूँ #कबीर..... ©Kabir Thakur #ohkabira43 #nojohindi #Hindi #selflove