पिता! तेरी याद से उगता है दिल के आसमां पर होश का एक सूरज और वक़्त की लकीरें बना जाती हैं एक जुदा दुनिया तेरी सख़्ती और सख़्तजानी को मैं करता हूँ सलाम क्योंकि इसका असर मुझे पता है # पिता! मैं मुरीद तेरा