शब्दों का जोर था हम समझ नहीं पा रहे थे मन में तो तेरे पहले से ही कोई और था । शब्दों का जोर था हम समझ नहीं पा रहे थे मन में तो तेरे पहले से ही कोई और था । बेवजह नहीं थी बो बाते मेरी ये भी तुम्हे समझ आजाना था में पागल ही सही पर तेरा दीवाना था। हां थी मुझे भी बहुत सी बुराइयां या कमिया भी पर तूने कभी बताया नहीं और तूने ना कहा सच्च अपना कभी हमसे और हमने अपना कोई चेहरा तुमसे कभी छिपाया नहीं । जरा सोचना बैठ के अकेले में क्या कमी रही होगी मेरे प्यार में को आज खड़ा हूं अकेला इस दुनिया के मेले में। तन्हा ही सही पर गुमान है मुझे मेरी खुदारी पे ओर तूने लाख छिपाए चहरे अपने पर आज तरस आता है तेरी सूरत बेचारी पे। तूने समझ के बेचारा मुझे मुझपे भी कई एहसान किए होंगे पर याद तुम्हे भी होगा तेरे एक एक जवाब के इंतजार में मैने भी दर्द सीने में समेले होंगे। मुझे नहीं मालूम आज तू पहले ख़ुश थी या आज है पर अब कोई नहीं होगा दुबारा तेरे जैसा ये मेरा खुदसे खुदका आगाज है। .........✍️ साधु बाबा शब्दों का जोर