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मिले अनजानों से तक़दीर के सहारे, दिल को किया फिर य

 मिले अनजानों से तक़दीर के सहारे,
दिल को किया फिर यूँ नाम तुम्हारे..!

न देखा एक दूजे को कभी भी,
विश्वास पर पहुँचे इश्क़ के किनारे..!

बिखरे जज़्बातों को समेट कर लफ़्ज़ों में,
बयाँ कर दिल के ख़ाली पन्नों पर उतारे..!

इश्क़ की जुबाँ पर चढ़ा नाम तुम्हारा,
और तुम्हारे ही नाम को हरदम पुकारे..!

बस गई हो आँखों में तुम रौशनी सी बनके,
हृदय को तुम बहुत लगते हो प्यारे..!

न शरमाओ अब तुम यूँ करीब आकर,
लग जाओ सनम सीने से हमारे..!

बना कर शहर अपने दिल में यूँ तुम्हारा,
चलो अपना जीवन कुछ यूँ सँवारे..!

©SHIVA KANT
  #taqdeer_ke_khel