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बस वही एक चेहरा है, जो मन की आँखों में बसता है ओझ

 बस वही एक चेहरा है, जो मन की आँखों में बसता है
ओझल होना चाहे तो, बरबस ही मन खिंचता रहता है

क्या कहूँ और क्या न कहूँ अब,रात-दिन का पहरा है
मोह उस चेहरे का अब,दिन-पर-दिन गहराता रहता है

ख़याल में कुछ भी समाता नहीं अब, जब से उसे देखा है
ढक दिया सब अपने जाल से उसने,सामने ख़ुद ही रहता है

जकड़ गयी प्रेमपाश में उसके, कसूर उसका नहीं बस मेरा है
हर पल खोजती आँखें अनायास बेबस हो, बस वो चेहरा है

दिल में देकर दर्द अंजान वो बनता, जिसका चेहरा बना मोहरा है
दोष नहीं उसका कुछ पर, मन मेरा उसकी ओर ही खिंचता रहता है
🌹🌹🌹
Muनेश...Meरी✍️


 बस वही एक चेहरा है,
आँखों पर क्या कोई पहरा है?
#एकचेहरा #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
 बस वही एक चेहरा है, जो मन की आँखों में बसता है
ओझल होना चाहे तो, बरबस ही मन खिंचता रहता है

क्या कहूँ और क्या न कहूँ अब,रात-दिन का पहरा है
मोह उस चेहरे का अब,दिन-पर-दिन गहराता रहता है

ख़याल में कुछ भी समाता नहीं अब, जब से उसे देखा है
ढक दिया सब अपने जाल से उसने,सामने ख़ुद ही रहता है

जकड़ गयी प्रेमपाश में उसके, कसूर उसका नहीं बस मेरा है
हर पल खोजती आँखें अनायास बेबस हो, बस वो चेहरा है

दिल में देकर दर्द अंजान वो बनता, जिसका चेहरा बना मोहरा है
दोष नहीं उसका कुछ पर, मन मेरा उसकी ओर ही खिंचता रहता है
🌹🌹🌹
Muनेश...Meरी✍️


 बस वही एक चेहरा है,
आँखों पर क्या कोई पहरा है?
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