ज़ख्म दिलों के हम छुपा पाते आँखों से अश्कों हम बहने ना देते दर्द नासूर बन दिल में चुभते रहते फिर भी जुबां चुप रहे तो बेहतर दर्द ज़माने अपना क्यों दिखना जब उसे अश्क पोछने नहीं आता ♥️ Challenge-962 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।