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कलम पाठकों के दावतों की जब-जब पुकार सुनती है, कागज

कलम पाठकों के दावतों की जब-जब पुकार सुनती है,
कागज़ की थाली में शब्दों की छप्पन भोग परोसती है ।

शब्दों की स्वाद तो श्रवनकर्ता की ज्ञान ही बता सकती है, 
किन लेखनी में श्रद्धा कितनी और कितनी प्रेरणा बसती है ।।

आपका दिन शुभ हो ज्ञानगंगा
कलम पाठकों के दावतों की जब-जब पुकार सुनती है,
कागज़ की थाली में शब्दों की छप्पन भोग परोसती है ।

शब्दों की स्वाद तो श्रवनकर्ता की ज्ञान ही बता सकती है, 
किन लेखनी में श्रद्धा कितनी और कितनी प्रेरणा बसती है ।।

आपका दिन शुभ हो ज्ञानगंगा