कभी भटकती कभी तड़पती अपनी राह खोजती, तू ज़िंदा है या साथ छोड़ गया मुझसे मेरी रूह पूछती। रास्ता सीधा सरल नज़र आता है, कोई अड़चन है या होगी मुझसे पूछती। रोऊं मैं या हस दूं मेरे संग उसका आचरण है, जान ना जाए हकिक्त ज़माना तभी तो ये मिट्टी का आवरण है। आंखें मेरी छलके मायूस वो भी तो होती है, टूट जाए जो ख़्वाब अगर मुझे ज्यादा रोती है। कभी भटकती कभी तड़पती अपनी राह खोजती, तू ज़िंदा है या साथ छोड़ गया मुझसे मेरी रूह पूछती। मेरी रूह#nojoto