...... बनके बून्द बारिश गुज़रु न कहीं तुम्हारे गालों से तुम ख्याल रखना,- फिर भीगते फिरो तुम बनके डाली किसी दरखत की आदतन सी, और फिर कमाल ये भी न हो जाये के सिलती रहूँ सिल्वटें मुसिन जो छोड़ी हों तुमने मेरी बांहों में.,.. ©'अल्प'