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।। मुक्तक।। शाखों पे परिंदों का , बसेरा नहीं होत

।। मुक्तक।। 
शाखों पे परिंदों का , 
बसेरा नहीं होता। 
तारों के चमकने से , 
उजाला नहीं होता 
आज  के  हालात में , 
ईमान इस तरह! 
सूरज तो निकलता है, 
सवेरा नहीं होता।
कवि हरिश्चन्द्र राय🔦हरि🔦
मुंबई # महाराष्ट्र #

©HARISHCHANDRA RAI #OneSeason  Rudra varshney ⚕️ pahalvan kareli pahalvan kareli Rakesh Srivastava gudiya  gudiya
।। मुक्तक।। 
शाखों पे परिंदों का , 
बसेरा नहीं होता। 
तारों के चमकने से , 
उजाला नहीं होता 
आज  के  हालात में , 
ईमान इस तरह! 
सूरज तो निकलता है, 
सवेरा नहीं होता।
कवि हरिश्चन्द्र राय🔦हरि🔦
मुंबई # महाराष्ट्र #

©HARISHCHANDRA RAI #OneSeason  Rudra varshney ⚕️ pahalvan kareli pahalvan kareli Rakesh Srivastava gudiya  gudiya