बिछड़ गए तो फिर भी मिलेंगे हम दोनों एक बार, दिल, दिल को पहचान लेगा, छायेगी फिर बहार। कुछ जज़्बात लफ़्ज़ों से बयाँ नहीं हुआ करते हैं, देखकर यूँ ही मुस्कुरायेंगे, तो आयेगा फिर क़रार। रूह से रूह का बंधन कभी भूल भी नहीं सकते, बेवजह ठहरेंगी निगाहें, धड़कनें होंगी फिर ज़ार। घूम-घामकर ख़याल बार-बार पहुँचते हैं तुम तक, दिल को होगा फिर एहसास, करेगा फिर इज़्हार। सबर रख 'धुन', वक़्त सबका आता है एक दिन, याद आ गए जो हम, दिल भी करेंगे फिर निसार। नमस्कार लेखकों🌺 Collab करें हमारे इस #RzPoWriMoH16 के साथ और "बिछड़ गए तो फिर भी मिलेंगे हम दोनों इक बार" पर कविता लिखें। (मूल कविता मुनीर नियाज़ी द्वारा) • समय सीमा : 24 घंटे • कैपशन में संक्षिप्त विस्तारण करने की अनुमति है।