दर्द गूंजता रहता है अक्सर तन्हा रातों में, खुद अपने ही जख्मों का मरहम बनना पड़ता है। वीरान सी हो गयी है जिंदगी मेरी पर क्या करूं, शायर हूँ! दूसरों की महफ़िलों का चाँद बनना पड़ता है।। दर्द गूंजता रहता है अक्सर तन्हा रातों में, खुद अपने ही जख्मों का मरहम बनना पड़ता है। वीरान सी हो गयी है जिंदगी मेरी पर क्या करूं, शायर हूँ! दूसरों की महफ़िलों का चाँद बनना पड़ता है।।#jdpoetry #nojoto #shayri #love #tanhai