#OpenPoetry वो जो बेरुख़ी कभी थी वही बेरुख़ी है अब तक , मेरे हाल पे इनायत कभी थी, ना है, ना होगी वो जो बेरुख़ी कभी थी वही बेरुख़ी है अब तक , मेरे हाल पे इनायत कभी थी, ना है, ना होगी