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रास्ते भर सोचता रहा फिर वही बात वही तेरी कहानी वह

रास्ते भर सोचता रहा 
फिर वही बात
वही तेरी कहानी
वही तेरा मुंह मोड़ना
उस पल को बार-बार 
अंतर्मन में लाता रहा
जब तूने
मेरी एक ना मानी
तू मुड़ गई अपने रास्ते
छोड़ मुझे विरह के वास्ते
जबकि शेष तुझमें भी थी
मेरे अस्तित्व की चाह
फिर क्यों दीपक बुझा दिया
फिर क्यों भावनाओं को दबा दिया

©परिंदा
  #bicycleride