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हर शाम बस तेरा इंतज़ार रहता है, पता है, तू छुपा ह

हर शाम बस तेरा इंतज़ार रहता है, 
पता है, तू छुपा है मेरे दिल में ही, 
फिर भी, तेरी एक झलक की 
कुछ और ही बात होती है ।

आंखो को ठंडक मिलती है
मन को शुकून मिल जाता है
बेचैन सी उखड़ी सांसे भी शांत हो जाती है
जब तेरी सांसे, मेरी सांसों से मिल जाती है।

मत छुप, यहां–वहां, वहां–यहां 
मत खेल, मेरे दिल से अंठखेलिया 
आजा मेरे श्याम, मेरे नयनों के सामने 
इन बेजान अंखियों से, इंतजार नही होता है।


तेरे बदन की खुशबू को तैर जाने दे फिजाओं में
तेरे एक एक एहसास को फैल जाने दे फिजाओं में
अजय ने भी सुन रखा है, रहिमन, रैदास, सूरदास से
तेरे एहसास भर से ही, कायनात जिंदा हो जाती है।


हर शाम बस तेरा इंतज़ार रहता है, 
पता है, तू छुपा है मेरे दिल में ही, 
फिर भी, तेरी एक झलक की 
कुछ और ही बात होती है ।
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

©AJAY NAYAK
  #RadhaKrishna #कविता 
हर शाम बस तेरा इंतज़ार रहता है, 
पता है, तू छुपा है मेरे दिल में ही, 
फिर भी, तेरी एक झलक की 
कुछ और ही बात होती है ।

आंखो को ठंडक मिलती है
मन को शुकून मिल जाता है
ajaynayak1166

AJAY NAYAK

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RadhaKrishna कविता हर शाम बस तेरा इंतज़ार रहता है, पता है, तू छुपा है मेरे दिल में ही, फिर भी, तेरी एक झलक की कुछ और ही बात होती है । आंखो को ठंडक मिलती है मन को शुकून मिल जाता है

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