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जीवन और मृत्यु एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, परंतु

जीवन और मृत्यु एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, परंतु जानता  वही है ...जो जीवन को समझता है।अक्सर मैंने सुना है लोग मृत्यु की बात करते हुए अत्यधिक डरते हैं...डर वहीं होता है जहां अज्ञानता का वास होता है। जिन्हें जीवन को जीना नहीं आता,जिन्हें जीवन का मूल्य नहीं पता...उन्हें ही मृत्यु भयभीत करती है।
 
"न जाने जीवन,न जाने मृत्यु
बीच भंवर में फंसा मुमुक्षु "

आजकल की गला-काट प्रतिस्पर्धा, तनाव, चिंता, भय सब ने जीवन को जटिल बना दिया है...लेकिन  जीवन का स्वरूप ऐसा है ही नहीं। जब जीवन को जटिल बना कर देखोगे ... मृत्यु तो तब भयावह ही लगेगी। संस्कृत का श्लोक हैं "जननम् सुखदम् मरणम् करूणम्"। जीवन सुख है,मृत्यु दया है। मृत्यु सर्वोच्च आराम है परंतु उन्हीं के लिए जो मृत्यु को शालीनता से वरण(स्वीकार, धारण) करते हैं
 
मेरे अंतर्मन से निकली कुछ पंक्तियां:-

जीवन और मृत्यु एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, परंतु जानता वही है ...जो जीवन को समझता है।अक्सर मैंने सुना है लोग मृत्यु की बात करते हुए अत्यधिक डरते हैं...डर वहीं होता है जहां अज्ञानता का वास होता है। जिन्हें जीवन को जीना नहीं आता,जिन्हें जीवन का मूल्य नहीं पता...उन्हें ही मृत्यु भयभीत करती है। "न जाने जीवन,न जाने मृत्यु बीच भंवर में फंसा मुमुक्षु " आजकल की गला-काट प्रतिस्पर्धा, तनाव, चिंता, भय सब ने जीवन को जटिल बना दिया है...लेकिन जीवन का स्वरूप ऐसा है ही नहीं। जब जीवन को जटिल बना कर देखोगे ... मृत्यु तो तब भयावह ही लगेगी। संस्कृत का श्लोक हैं "जननम् सुखदम् मरणम् करूणम्"। जीवन सुख है,मृत्यु दया है। मृत्यु सर्वोच्च आराम है परंतु उन्हीं के लिए जो मृत्यु को शालीनता से वरण(स्वीकार, धारण) करते हैं मेरे अंतर्मन से निकली कुछ पंक्तियां:- #विचार

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