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कर लेना राघव आज मेरा वरण तुम, हर घड़ी ना लो परीक्ष

कर लेना राघव आज मेरा वरण तुम,
हर घड़ी ना लो परीक्षा तुम मेरी इतनी।
विरह में तेरे व्याकुल मैं  हूँ भटक रही,
तुम मेरे, मैं भी हूँ तेरी अनमोल रतनी।।

अपने नाम के पीछे तेरा नाम लगाऊँ,
कहलाऊँ मैं तो बस तेरी ही दुल्हनियाँ।
प्रेम का ऐसा पर्याय सिखा दो मुझको,
मैं भटक रही बनकर तेरी जोगनिया।।

प्रेम अनूठा, सच्चा व समर्पित अपना हो,
मेरी माथे पर सजी वो सिन्दूर तुम्हारा हो,
बना लो तुम मुझको अपना जीवन साथी,
तेरे आँगन में बस तेरी नेह का बसेरा हो।।

अपने राजा राघव की रानी बन जाऊँ मैं,
मिल जाए मुझको तेरे प्रेम का आलिंगन,
लाड़ लगा ले हम दोनों अपने उपवन में,
प्राप्त होता रहे मुझे तेरे प्रेम का छुअन।।

सांझ सवेरे बस तुझको ही निहारती रहूँ,
बन जाऊँ  तेरे अधरो की मधुर मुस्कान।
गुलाबी तन को सींचू मैं तेरे श्रृंगार रस से,
तुम हो रघुनन्दन मेरे यौवन की पहचान।।

झूम रही है ये तो पवन अलबेरी बदलिया,
मेरा चंचल रंगी चितवन भी मचल रहा है।
प्यासे मेरे लबों को चूम लो आज तुम राम,
तड़पती निगाहें व जिया मेरा धड़क रहा है।। काव्य मिलन —1


कर लेना राघव आज मेरा वरण तुम,
हर घड़ी ना लो परीक्षा तुम मेरी इतनी।
विरह में तेरे व्याकुल मैं  हूँ भटक रही,
तुम मेरे, मैं भी हूँ तेरी अनमोल रतनी।।
कर लेना राघव आज मेरा वरण तुम,
हर घड़ी ना लो परीक्षा तुम मेरी इतनी।
विरह में तेरे व्याकुल मैं  हूँ भटक रही,
तुम मेरे, मैं भी हूँ तेरी अनमोल रतनी।।

अपने नाम के पीछे तेरा नाम लगाऊँ,
कहलाऊँ मैं तो बस तेरी ही दुल्हनियाँ।
प्रेम का ऐसा पर्याय सिखा दो मुझको,
मैं भटक रही बनकर तेरी जोगनिया।।

प्रेम अनूठा, सच्चा व समर्पित अपना हो,
मेरी माथे पर सजी वो सिन्दूर तुम्हारा हो,
बना लो तुम मुझको अपना जीवन साथी,
तेरे आँगन में बस तेरी नेह का बसेरा हो।।

अपने राजा राघव की रानी बन जाऊँ मैं,
मिल जाए मुझको तेरे प्रेम का आलिंगन,
लाड़ लगा ले हम दोनों अपने उपवन में,
प्राप्त होता रहे मुझे तेरे प्रेम का छुअन।।

सांझ सवेरे बस तुझको ही निहारती रहूँ,
बन जाऊँ  तेरे अधरो की मधुर मुस्कान।
गुलाबी तन को सींचू मैं तेरे श्रृंगार रस से,
तुम हो रघुनन्दन मेरे यौवन की पहचान।।

झूम रही है ये तो पवन अलबेरी बदलिया,
मेरा चंचल रंगी चितवन भी मचल रहा है।
प्यासे मेरे लबों को चूम लो आज तुम राम,
तड़पती निगाहें व जिया मेरा धड़क रहा है।। काव्य मिलन —1


कर लेना राघव आज मेरा वरण तुम,
हर घड़ी ना लो परीक्षा तुम मेरी इतनी।
विरह में तेरे व्याकुल मैं  हूँ भटक रही,
तुम मेरे, मैं भी हूँ तेरी अनमोल रतनी।।