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वह घर की इकलौती कन्या सदा सिंघनी सी पाली थी। दूर थ

वह घर की इकलौती कन्या सदा सिंघनी सी पाली थी।
दूर थी भय की परछाई भी उसकी बात निराली थी।।
लोगों में एक भय सा भरा था यद्यपि वह शांत रहती थी ।
जोकुछभी कहना लोगोंसे बस उसकी आभा कहती थी ।।
उसे देखते ही लोगों की जैसे हवा निकल जाती थी ।
बङे शान्त सबहो जातेथे जिधरसे वह निकल जाती थी ।।
लोगों में भय भर देती थी उसके मुख मण्डल की आभा।
जो कोई उससे टकराया मान लें वह था बङा अभागा ।।
पिता भी उसके सुविख्यात थे पुलिस के क्षेत्र प्रभारी थे।
अच्छे अच्छे गुन्डों पर भी वे पङ जाते भारी थे।।
पढ़ने लिखने में कक्षा में उसका प्रथम स्थान ही रहता ।शिक्षकों की नयनों का तारा हर शिक्षक प्रसन्न ही रहता ।।
बचपन सेही सिवा पिताके एक भी लङका मित्र नहीं था ।
पिता हीतो आदर्शथे उसके उनसे बढ कर कोई नहीं था ।।
शिक्षा पूरी करके वह भी आई ए एस बन करके आई।
समयसे सब सेवा पर आएं यह उसकी पहली सिखलाई।।
अनुशासन उसकाजीवनहै सबको अनुशासन सिखलाती ।
अपनी सत्यनिष्ठा से अनन्या घर घर में है पूजी जाती ।।

धन्यवाद । जय हिंद वंदेमातरम ।

©bhishma pratap singh इकलौती कन्या: अनन्या 
#काव्य संकलन #भीष्म प्रताप सिंह 
#मेरी उड़ान
वह घर की इकलौती कन्या सदा सिंघनी सी पाली थी।
दूर थी भय की परछाई भी उसकी बात निराली थी।।
लोगों में एक भय सा भरा था यद्यपि वह शांत रहती थी ।
जोकुछभी कहना लोगोंसे बस उसकी आभा कहती थी ।।
उसे देखते ही लोगों की जैसे हवा निकल जाती थी ।
बङे शान्त सबहो जातेथे जिधरसे वह निकल जाती थी ।।
लोगों में भय भर देती थी उसके मुख मण्डल की आभा।
जो कोई उससे टकराया मान लें वह था बङा अभागा ।।
पिता भी उसके सुविख्यात थे पुलिस के क्षेत्र प्रभारी थे।
अच्छे अच्छे गुन्डों पर भी वे पङ जाते भारी थे।।
पढ़ने लिखने में कक्षा में उसका प्रथम स्थान ही रहता ।शिक्षकों की नयनों का तारा हर शिक्षक प्रसन्न ही रहता ।।
बचपन सेही सिवा पिताके एक भी लङका मित्र नहीं था ।
पिता हीतो आदर्शथे उसके उनसे बढ कर कोई नहीं था ।।
शिक्षा पूरी करके वह भी आई ए एस बन करके आई।
समयसे सब सेवा पर आएं यह उसकी पहली सिखलाई।।
अनुशासन उसकाजीवनहै सबको अनुशासन सिखलाती ।
अपनी सत्यनिष्ठा से अनन्या घर घर में है पूजी जाती ।।

धन्यवाद । जय हिंद वंदेमातरम ।

©bhishma pratap singh इकलौती कन्या: अनन्या 
#काव्य संकलन #भीष्म प्रताप सिंह 
#मेरी उड़ान