जिंदगी जी रहे वक़्त को मनाते मनाते, गुजरे दिनों की यादों को हंसाते हंसाते. दिल भर गया चाँद का अकेले रहकर, पंछी हवा संग गा रहे ऊंचे आते जाते। आहें भर भर कर रोता है दिल ये मेरा, दर्द है सनम अब मुस्कराते मुस्कराते। लगाते हैं दिल अब घर की दीवारों से, जल गए चिराग आग बुझाते बुझाते।। पेड़ों की शाख पे बैठी रोती है कोयल, ले गए जिस्म लोग हक़ जताते जताते। टूटकर गिरा कली से जब नन्हा गुलाब, फरिश्ते भी दब गए बोझ उठाते उठाते। ऊंचे ऊंचे महलों के रुतबे हैं बेपरवाह, खिड़कियां टूटगईं सच दिखाते दिखाते। मरहम ज़ख्मों की बना देजा मेरे खुदा,, क़ातिल हुआ अमन ज़हर बनाते बनाते। करदे आज़ाद अब इस जिस्मखोरी से, आग ले आये अपने,मुँह छुपाते छुपाते। ©aman6.1 जिस्मखोरी✍️written by me✍️6.1aman🇮🇳 #hindipoetry #punjabipoetry#urdupoetr#marathipoetry#nojoto#music #alone poet pari srivastava Kartik Shukla Deep maan writer ram singh yadav Namrata Tripathi