वो जलकर भी रौशन कर जाता है हर शागिर्द की नैया को पार लगाता है जिज्ञासा रूपी पहेली को हस्ते हस्ते सुलझाता है हर बेतूके सवाल के बाण यू ही झेल जाता है रहबर बन राह दिखता है जीवन रथ का सारथि भी बन जाता है हर गलती पर सही का मायना बतलाता है कभी कभी हमारी नादानी में भी शामिल हो जाता है माँ - बाबा की बेफिक्री के रूप में नज़र आता है यू ही नहीं वो जन्मदाता से भी ऊपर कहलाता है - आरती सरन Happy #teachers day