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उसे ख्वाबों में मुलाकात पसंद है, तन्हाई में, चाँद

उसे ख्वाबों में मुलाकात पसंद है, 
तन्हाई में, चाँद वाली रात पसंद है। 

कच्चे धागों में वो बांधती है मोती, 
उसे नदिया की सुनना, बात पसंद है। 

वो सुध-बुध खो देती है मीरा की तरह, 
बांसुरी की धुन पर होने वाली बरसात पसंद है। 

वो खेलती है फ़ुर्सत में तूफानों से अक्सर, 
"कुमार" को "मीनाक्षी" के ये खयालात पसंद है। 
 मीनाक्षी जी पहले तो इस गुस्ताखी के लिए क्षमा.. 

सारी पंक्तिया मैंने आपकी ही ली है अलग अलग पोस्ट से.. हाँ थोड़ा modified किया है इस पेशकश के लिए.. 

एक छोटी भेंट एक शायरा, कवियत्री और एक अच्छे रचनाकार को.. 

सादर प्रणाम 
Minakshi Mishra
उसे ख्वाबों में मुलाकात पसंद है, 
तन्हाई में, चाँद वाली रात पसंद है। 

कच्चे धागों में वो बांधती है मोती, 
उसे नदिया की सुनना, बात पसंद है। 

वो सुध-बुध खो देती है मीरा की तरह, 
बांसुरी की धुन पर होने वाली बरसात पसंद है। 

वो खेलती है फ़ुर्सत में तूफानों से अक्सर, 
"कुमार" को "मीनाक्षी" के ये खयालात पसंद है। 
 मीनाक्षी जी पहले तो इस गुस्ताखी के लिए क्षमा.. 

सारी पंक्तिया मैंने आपकी ही ली है अलग अलग पोस्ट से.. हाँ थोड़ा modified किया है इस पेशकश के लिए.. 

एक छोटी भेंट एक शायरा, कवियत्री और एक अच्छे रचनाकार को.. 

सादर प्रणाम 
Minakshi Mishra

मीनाक्षी जी पहले तो इस गुस्ताखी के लिए क्षमा.. सारी पंक्तिया मैंने आपकी ही ली है अलग अलग पोस्ट से.. हाँ थोड़ा modified किया है इस पेशकश के लिए.. एक छोटी भेंट एक शायरा, कवियत्री और एक अच्छे रचनाकार को.. सादर प्रणाम Minakshi Mishra