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बदलेगा यह ! और इसे बदलना ही होगा, जो कोई गाली दे म

बदलेगा यह ! और इसे बदलना ही होगा,
जो कोई गाली दे माँ -बहन को
वही खींच कर गाल पर उसके दो लगाना होगा...!! आजकल इन गालियों का इस्तेमाल तो इतना खुले आम होता है जैसे सब्जी में नमक मिर्च डाला जाता है. छोटे बड़े का कोई लिहाज़ ही नहीं रहा।

यह जुबान आपको ज़मीं से ऊपर उठा भी सकती है और ज़मीं पे गिरा भी सकती है. इसे हरदम केंची की तरह मत चलाइये. गालियों से आपकी बनी बनाई इज्ज़त मिट्टी में मिल ज़ाती है।

अपने आप को इतना मत गिराइए कि उठना ही मुश्किल हो जाये. आपको तो दूसरों को अच्छी शिक्षा  और अच्छी भाषा  की मिसाल देनी चाहिए, और आप हैं खुद ही अपनी जुबान को गन्दा कर रहे हैं. गुस्सा कीजिये, पर अपनी तहज़ीब को मत भू
बदलेगा यह ! और इसे बदलना ही होगा,
जो कोई गाली दे माँ -बहन को
वही खींच कर गाल पर उसके दो लगाना होगा...!! आजकल इन गालियों का इस्तेमाल तो इतना खुले आम होता है जैसे सब्जी में नमक मिर्च डाला जाता है. छोटे बड़े का कोई लिहाज़ ही नहीं रहा।

यह जुबान आपको ज़मीं से ऊपर उठा भी सकती है और ज़मीं पे गिरा भी सकती है. इसे हरदम केंची की तरह मत चलाइये. गालियों से आपकी बनी बनाई इज्ज़त मिट्टी में मिल ज़ाती है।

अपने आप को इतना मत गिराइए कि उठना ही मुश्किल हो जाये. आपको तो दूसरों को अच्छी शिक्षा  और अच्छी भाषा  की मिसाल देनी चाहिए, और आप हैं खुद ही अपनी जुबान को गन्दा कर रहे हैं. गुस्सा कीजिये, पर अपनी तहज़ीब को मत भू