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स्त्री का तन और पुरुष का मन सदैव ही, दुत्कारा क्यो

स्त्री का तन और पुरुष का मन
सदैव ही, दुत्कारा क्यों गया?

स्त्री का सौम्य उसके वक्ष से,
स्त्री का आदर उसके वक्र से,
स्त्री का गुण उसके रंग से,
स्त्री का कौशल उसके अंग से,
सदैव ही, संवारा क्यों गया?

(पूरी कविता कैप्शन में पढ़े...!)  स्त्री का तन और पुरुष का मन
सदैव ही, दुत्कारा क्यों गया?

स्त्री का सौम्य उसके वक्ष से,
स्त्री का आदर उसके वक्र से,
स्त्री का गुण उसके रंग से,
स्त्री का कौशल उसके अंग से,
सदैव ही, संवारा क्यों गया?
स्त्री का तन और पुरुष का मन
सदैव ही, दुत्कारा क्यों गया?

स्त्री का सौम्य उसके वक्ष से,
स्त्री का आदर उसके वक्र से,
स्त्री का गुण उसके रंग से,
स्त्री का कौशल उसके अंग से,
सदैव ही, संवारा क्यों गया?

(पूरी कविता कैप्शन में पढ़े...!)  स्त्री का तन और पुरुष का मन
सदैव ही, दुत्कारा क्यों गया?

स्त्री का सौम्य उसके वक्ष से,
स्त्री का आदर उसके वक्र से,
स्त्री का गुण उसके रंग से,
स्त्री का कौशल उसके अंग से,
सदैव ही, संवारा क्यों गया?
shrutigupta6452

Shruti Gupta

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