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बिखर रहा है टुकड़ो में पल-पल यक़ीन भी जैसे शाख से प

बिखर रहा है टुकड़ो में पल-पल यक़ीन भी

जैसे शाख से पत्ते झर रहे हो

ये हवा ही कुछ ऐसी चली है

अनकही बातों का भी शोर अधिक है ।

©Poonam Nishad
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