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जो देना चाहते वो मैंने माँगा नहीं, माँगा जो, वो दे

जो देना चाहते वो मैंने माँगा नहीं, माँगा जो, वो देना नहीं चाहते,
बाबाजी! इंसान हूँ न मैं, अपनी हद से अलग ही ज़िद करती हूँ।

ज़मी की ख़्वाहिश, आपको आसमाँ के चाँद-तारों सी लगती है,
इसी में ख़ुश रहूँ कैसे? मैं तो चाहत भी आपसे वाहिद करती हूँ।

मुझे खास नहीं,एहसास भी नहीं बनना,रहूँ ज़रिया तो काफी है, 
चाहा न चाहत का हिसाब,ग़लत क्या जो ज़रा हासिद करती हूँ? 

मुझे अब और नहीं समझना-समझाना है इस लोग-ज़माने को, 
कही-अनकही वो बातें आपके ज़रिए ही तो क़ासिद करती हूँ। 

बहुत हुआ सबका हिसाब-किताब,और ना उलझाओ बाबाजी, 
'धुन' की गवाही के लिए, आपको ही अब मैं शाहिद करती हूँ।  वाहिद- One, Unique, हासिद- Jealous, क़ासिद- Courier, शाहिद- Witness


#sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #omsairam #yqdidi #poetry #life
जो देना चाहते वो मैंने माँगा नहीं, माँगा जो, वो देना नहीं चाहते,
बाबाजी! इंसान हूँ न मैं, अपनी हद से अलग ही ज़िद करती हूँ।

ज़मी की ख़्वाहिश, आपको आसमाँ के चाँद-तारों सी लगती है,
इसी में ख़ुश रहूँ कैसे? मैं तो चाहत भी आपसे वाहिद करती हूँ।

मुझे खास नहीं,एहसास भी नहीं बनना,रहूँ ज़रिया तो काफी है, 
चाहा न चाहत का हिसाब,ग़लत क्या जो ज़रा हासिद करती हूँ? 

मुझे अब और नहीं समझना-समझाना है इस लोग-ज़माने को, 
कही-अनकही वो बातें आपके ज़रिए ही तो क़ासिद करती हूँ। 

बहुत हुआ सबका हिसाब-किताब,और ना उलझाओ बाबाजी, 
'धुन' की गवाही के लिए, आपको ही अब मैं शाहिद करती हूँ।  वाहिद- One, Unique, हासिद- Jealous, क़ासिद- Courier, शाहिद- Witness


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