अपना-पराया-गुणगान् व, परजनः स्वजनो निर्गुणोऽपि वा...! निर्गणः स्वजनः श्रेयान्, यः परः पर एव स...!! पराया मनुष्य भले ही गुणवान् हो तथा, स्वजन सर्वथा गुणहीन ही क्यों न हो, लेकिन गुणी परजन से, गुणहीन स्वजन ही भला होता है...! अपना तो अपना है, और, पराया पराया ही रहता है...!! ©Rahul Raj #relation#RahulRaj#quotes